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हाउस अरेस्ट की दशा में;---------
1. यह सोचना बिलकुल गलत है कि घर में नजरबन्द व्यक्ति हमेशा घर
में जेल की तरह कैद रहता है बल्कि सच यह है कि यदि आरोप बहुत
संगीन नहीं हैं तो आरोपी को उसके सामान्य काम जैसे स्कूल, डॉक्टर से
मिलना, किसी से मिलना, सामुदायिक सेवा और अदालतों द्वारा तय किये
गए अन्य काम करने की अनुमति होती है. हालाँकि इस दौरान सुरक्षा
कर्मी आरोपी के साथ रहेंगे और उसे एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग डिवाइस
पहनना होगा.
2. हाउस अरेस्ट कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के पहले की दशा है
अर्थात इस दशा में व्यक्ति को बिना जेल भेजे जेल जैसी स्थितियों में
रखने की कोशिश होती है.
3. सामान्यतः आरोपी व्यक्ति को बाहर यात्रा करने की छूट नहीं
होती है हालाँकि किन्ही विशेष दशाओं में अनुमति दी जा सकती है.
#5
4. हाउस अरेस्ट की सजा क्रिमिनल लोगों को भी दी जा सकती है यदि
जेल की सजा किन्ही विशेष कारणों से ठीक/सुरक्षित नहीं है.
5. आमतौर पर घर में नजरबन्द व्यक्ति को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक
उपकरण के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होती है लेकिन यदि इस्तेमाल
करने की छूट मिलती है तो उसका इस्तेमाल सम्बंधित अधिकारियों की
निगरानी में ही होता है.
#6
6. आरोपी व्यक्ति पर नजर रखने के लिए उसे किसी विशेष इलेक्ट्रॉनिक
डिवाइस को पहनने को कहा जाता है ताकि उस पर दिन रात नजर रखी
जा सके.
7. हाउस अरेस्ट की दशा में आरोपी व्यक्ति को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस
और मोनिटरिंग सर्विस का भुगतान खुद करना होगा.
8. हाउस अरेस्ट का बड़ा नुकसान यह है कि इसमें आरोपी व्यक्ति को
उसके अच्छे आचरण के कारण सजा में छूट नहीं मिलती है जैसे कि
जेल में रहते हुए कैदी को मिलती है.
#7
हाउस अरेस्ट की दशा में आरोपी व्यक्ति के क्या अधिकार होते हैं;-----------
चाहे आप वयस्क नागरिक हों या गैर-नागरिक हों, अगर आपको गिरफ्तार
किया गया है तो आपके पास कुछ अधिकार हैं जिन्हें आपको बताना
कानून प्रवर्तन अधिकारी की जिम्मेदारी है. ये अधिकार हैं ;
1. हाउस अरेस्ट की अवस्था में यदि किसी व्यक्ति से कोई इन्वेस्टीगेशन
करनी होती है तो उसका वकील उसके साथ बैठ सकता है यदि कोई आरोपी
वकील को हायर नहीं कर सकता है तो उसे वकील अदालत की तरफ से
दिया जाता है.
Nice post
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