धारा 302 आईपीसी
(IPC Section 302 in Hindi) -
@#1
हत्या के लिए दण्ड
विवरण
जो भी कोई किसी व्यक्ति की हत्या करता है, तो उसे
अदालत ने आई. पी. सी. यानी भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302
के तहत मुजरिम को हत्या का दोषी पाया है. ऐसे में न्यायालय दोषी
को मृत्यु दंड या फिर आजीवन कारावास की सजा सुनाती है। किन्तु
काफी लोगों को अभी भी धारा 302 के बारे में सही ज्ञान नहीं है,
आइए चर्चा करते हैं कि क्या है भारतीय दण्ड संहिता यानी इंडियन
पैनल कोड की धारा 302।
@#3 क्या है भारतीय दंड संहिता की धारा 302 ?
भारतीय दंड संहिता में धारा 302 बहुत ही महत्वपूर्ण है, धारा 302 के अंतर्गत
न्यायलय द्वारा उस व्यक्ति को दंड दिया जाता है जो व्यक्ति किसी अन्य
व्यक्ति की हत्या के इरादे के साथ पूरी तैयारी से आये और हत्या की घटना
को अंजाम दे दे। सामान्यत: इन मामलों में हत्या के मकसद और आरोपी के
इरादे पर ध्यान दिया जाता है। अदालत की कार्यवाही में पुलिस द्वारा दिए
गए सबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर जज फैसला सुनाते हैं।
जब न्यायालय में यह साबित हो जाता है की हत्या आरोपी ने ही की है, तब
आरोपी को कानून के अनुसार दण्डित किया जाता है।
यह जरुरी नहीं है की हत्या के सभी मामलो में धारा 302 ही लगायी जाये,
कुछ मुक़दमे ऐसे भी होते हैं, जिनमें एक व्यक्ति द्वारा दूसरे की हत्या की
जाती हैं किन्तु वह इरादतन हत्या नहीं होती है। तो ऐसे मामलों में धारा 302
के स्थान पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 लगायी जाती है। धारा 304
में मानव वध के दंड का समाधान दिया गया है, जिसमें मृत्यु दंड न होकर
आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास और आर्थिक दंड की
न्यायालय ने किस तरह से इन मामलों को सुलझाया हैं। तंदूर-कांड, जैसिका लाल की हत्या , नितीश कटारा हत्या से जुड़े मामले भी चर्चा
में रहे हैं, और इन सभी मामलों में आरोपियों को धारा 302 के तहत आजीवन
कारावास की सजा से दण्डित किया गया।
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@#6 READ MORE----
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