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संपत्तिपर प्रतिकूल कब्जा .

(Adverse  Possession)// pratikul kabja

संपत्तिपर  प्रतिकूल कब्जा       . #1

क्या है कानून: उदाहरण के तौर पर रमेश कुमार का दिल्ली में घर है, जिसे उन्होंने रहने के लिए अपने भाई सुरेश कुमार को दिया हुआ है। 12 साल बाद सुरेश कुमार को प्रॉपर्टी बेचने का अधिकार है और उसका अपने भाई से झगड़ा होता है तो कानून के मुताबिक पोजेशन (possession) सुरेश को मिलेगा (but not ownership)।


इसके कहते हैं प्रतिकूल कब्जा यानी एडवर्स पोजेशन #2

(Adverse Possession)।  

हालांकि सामान्य कब्जे की स्थिति में स्वामित्व  (ownership) नहीं मिलता, लेकिन प्रतिकूल कब्जे के मामले में वह संपत्ति के मालिकाना हक पर दावा कर सकता है। एेसी स्थिति में अन्यथा साबित होने तक माना जाता है कि पोजेशन  (possession) कानूनी है और इसकी इजाजत दी गई है। प्रतिकूल कब्जे के तहत जरूरतें सिर्फ यही हैं कि पोजेशन  (possession)जबरदस्ती या गैर कानूनी तरीकों से हासिल न किया गया हो। #3

लिमिटेशन एक्ट : लिमिटेशन एक्ट, 1963 कानून का अहम हिस्सा है, जो प्रतिकूल कब्जे का विस्तार है। इस कानून में प्राइवेट संपत्ति के लिए 12 साल और सरकारी संपत्तियों के लिए 30 साल की अवधि होती है, जिसमें आप संपत्ति का मालिकाना हक ले सकते हैं। किसी भी तरह की देरी भविष्य में परेशानियां पैदा कर सकती है।लिमिटेशन उपाय को खत्म कर देता है, जो सही नहीं है', यही सिद्धांत लिमिटेशन एक्ट का आधार है। इसका मतलब है कि प्रतिकूल कब्जे के मामले में असली मालिक के पास प्रॉपर्टी टाइटल हो सकता है, लेकिन कानून के जरिए वह इस तरह दावा करने का अधिकार खो देता है। #4

समय अवधि: इस कानून को लागू करने और समयावधि की गणना करने के लिए देखा जाता है कि प्रॉपर्टी मालिक के पास किस तारीख से है। इस अवधि के दौरान पोजेशन अटूट और बिना किसी रुकावट के होना चाहिए। दावेदार के पास संपत्ति का इकलौता अधिकार होना चाहिए। हालांकि, लिमिटेशन पीरियड में उस वक्त को शामिल नहीं किया जाता, जिसमें मालिक और दावेदार के बीच प्रलंबित मुकदमेबाजी है। हालांकि इस नियम के कुछ अपवाद भी हैं। अगर संपत्ति का मालिक नाबालिग है, उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है  तो संपत्ति पर कब्जा करने वाले प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकते। #5

प्रतिकूल कब्जे के तहत दावा साबित करने के लिए किन चीजों की जरूरत है:

द्वेषपूर्ण कब्जा: संपत्ति के मालिक का मकसद प्रतिकूल कब्जे के जरिए अधिकार हासिल करने का होगा। ये अधिकार मूल मालिक के अधिकारों की कीमत पर हासिल किए जा सकते हैं। इसके लिए या तो कब्जा करने वाले ने मालिकाना हक के लिए इच्छा जाहिर की होगी या फिर अस्वीकृति। संपत्ति के चारों ओर एक दीवार बनवाना कब्जा करने का इशारा हो सकता है। #6

पब्लिक नॉलेज: बड़ी संख्या में लोगों को दावेदार के कब्जे के बारे में मालूम होना चाहिए। यह शर्त इसलिए रखी गई है ताकि असली मालिक को यह जानने के लिए पर्याप्त समय मिल जाए कि उसकी संपत्ति किसी के कब्जे में है और वह वक्त रहते कार्यवाही कर सके। हालांकि असली मालिक को सूचित करने के लिए कोई बाध्य नहीं है। #7 

वास्तविक कब्जा: लिमिटेशन की पूरी अवधि के दौरान वास्तविक अधिकार होना चाहिए। फसल कटाई, इमारत की मरम्मत, पेड़ लगाना और शेड बनाना जैसे शारीरिक कार्यों के जरिए भी वास्तविक कब्जा निर्धारित होता है। संपत्ति पर बिना शारीरिक कब्जा किए कब्जा करने वाला प्रॉपर्टी पर दावा नहीं कर सकता। #8

 निरंतरता: कब्जा करने वाले का पोजेशन बिना किसी रुकावट, शांतिपूर्ण और अविराम होना चाहिए। पोजेशन में किसी भी तरह का ब्रेक उसके अधिकार को खत्म कर सकता है।

विशिष्टता: कब्जा करने वाले का संपत्ति पर इकलौता अधिकार होना चाहिए। जिस समयावधि के लिए दावा किया गया है, उसमें पोजेशन किसी संस्था या लोगों के साथ साझा नहीं किया जाना चाहिए।  #9


 मामले: प्रतिकूल कब्जे के मामले में कई एेतिहासिक फैसले भी सुनाए गए हैं।

प्रतिकूल कब्जे का दावा करने के लिए अदालत में ये दस्तावेज दिखाने जरूरी हैं: 

-1)पोजेशन की तारीख(date of Possession) 

-2)पोजेशन की प्रकृति(Nature of Possession) 

-3)पोजेशन के बारे में लोगों को पता है

(Knowledge of Possession) 

-4)पोजेशन की अवधि   (Period of Possession) 

-5)पोजेशन की निरंतरता(Continuation of Possession) 

                            THANK  YOU

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#9
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