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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पुलिस हिरासत (पुलिस कस्टडी) और न्यायिका हिरासत (जुडिशल कस्टडी) में फर्क-------

पुलिस हिरासत (पुलिस कस्टडी) और न्यायिका हिरासत (जुडिशल कस्टडी) में फर्क ------- -   #1 PCR-MCR. इन दोनों का एक ही उद्येश्य है समाज में अपराध को कम करना.    जानते हैं कि इन दोनों शब्दों में क्या अंतर है.        किसी आरोपी व्यक्ति को पुलिस कस्टडी और ज्यूडिशियल कस्टडी में भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता ( CRPC)  के नियमों के हिसाब से रखा जाता है. पुलिस कस्टडी तथा ज्यूडिशियल कस्टडी दोनों में संदिग्ध को कानून की हिरासत में रखा जाता है. दोनों प्रकार की कस्टडी का उद्येश्य व्यक्ति को अपराध करने से रोकना होता है. जब भी पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में लेती है तो वह अपने जांच को आगे बढ़ाने के लिए  CrPC की धारा  167  के अंतर्गत मजिस्ट्रेट से  15  दिन तक के लिए हिरासत में रखने का समय मांग   सकती है. एक न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी भी व्यक्ति को  15  दिनों तक किसी भी तरह के हिरासत में भेज सकता है. #2                  ...

क्या है IPC और CrPC में अंतर, कब बना था ये कानून ?

क्या है IPC और CrPC में अंतर,  कब बना था  ये कानून ? #1 IPC और CrPC. इनमें तय किया जाता है कि, किन प्रक्रियाओं के तहत अपराधी को गिरफ्तार किया जाए.  जानते हैं पूरी जानकारी----- IPC ---                       यानी इंडियन पेनल कोड जिसे हिंदी में  भारतीय दंड संहिता   कहते हैं. IPC में कुल मिलाकर 511 धाराएं    ( Sections) और 23 chapters हैं. 1834 में पहला विधि आयोग (first law of commission) बनाया गया था. इसके चेयरपर्सन लॉर्ड मैकॉले थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व का सबसे बड़ा दांडिक संग्रह (IPC) से बड़ा देश में और कोई भी दांडिक कानून नहीं है. #2 क्या है CrPC------               CrPC की  इंग्लिश में 'कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर' और हिंदी में 'दण्ड प्रक्रिया संहिता' कहते है.  इसका कानून  1973 में पारित हुआ और 1 अप्रैल 1974 से लागू हुआ था.    ...