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हिंदू उत्तराध‌िकार अध‌िनियम से पहले और बाद में हिंदू का वसीयत करने का अध‌िकार

हिंदू उत्तराध‌िकार अध‌िनियम से पहले और बाद में हिंदू का वसीयत करने का अध‌िकार---  #1               अशोक किनीएलआरएस द्वारा वी कल्याणस्वामी (डी) बनाम एलआरएस द्वारा एल भक्तवत्सलम (डी) मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला वसीयत के निष्पादन से जुड़े कानूनी सिद्धांतों की विस्तृत चर्चा करता है। यह माना जाता है कि, ऐसी स्थिति में, जब वसीयत के दोनों उप‌स्थित गवाह मर चुके हों , तब यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि कम से कम एक उपस्थित गवाह का सत्यापन उसका लिखावट में हो। जब दोनों उपस्थित गवाहों की मृत्यु हो चुकी हो, तो यह माना जाता है कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 63 के तहत आवश्यक रूप से सत्यापन की आवश्यकता नहीं है, बरअक्स कि दोनों गवाहों द्वारा सत्यापन को प्रमाणित किया जाए।फैसले की इस पहलू का पहले ही एक रिपोर्ट में ‌निस्तारण किया जा चुका है। उन तथ्यों को यहां पढ़ा जा सकता है।  #2                         मौजूदा वसीयत 10.05.1955 को लागू की गई थी, यानी हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम...

हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत बेटियों के पास अगर उनके पिता जीवित नहीं होते, तो भी उनका अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट

Daughters Have Coparcenery Rights Even If Their Father Was Not Alive When Hindu Succession (Amendment) Act, 2005 Came Into Force:  हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत बेटियों के पास अगर उनके पिता जीवित नहीं होते, तो भी उनका अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट   #1                         Supreme Court In a significant judgment, the Supreme Court has held that, a daughter will have a share after Hindu Succession (Amendment) Act, 2005, irrespective of irrespective of whether her father was alive or not at the time of the amendment. Justice Arun Mishra today pronounced the judgment in a batch of appeals that raised an important legal issue whether the Hindu Succession (Amendment) Act, 2005, which gave equal right to daughters in ancestral property, has a retrospective effect? "Daughters must be given equal rights as sons, Daughter remains a loving daughter throughout life.  #2   ...

पैतृक संपत्ति पर बेटी का हर स्थिति में समान अधिकार- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

पैतृक संपत्ति पर बेटी का हर स्थिति में समान अधिकार- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला  #1   Supreme Court Says That A Daughter Is Entitled To Equal Property Rights Under The Amended Hindu Succession Act               सुप्रीम कोर्ट ने  बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि एक बेटी को अपने पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार है। अदालत ने कहा कि संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत यह बेटियों का अधिकार है और बेटी हमेशा बेटी रहती है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू महिला को अपने पिता की संपत्ति में भाई के समान ही हिस्सा मिलेगा।  #2                       कोर्ट ने कहा कि नौ सितंबर 2005 के बाद से बेटियों के हिंदू अविभाजित परिवार की संपत्तियों में हिस्सा मिलेगा। बता दें कि साल 2005 में कानून बना था कि बेटा और बेटी दोनों के पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार होगा। लेकिन, इसमें यह स्पष्ट नहीं था कि अगर पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई हो तो क्या ये कानून ऐसे परिवार पर लागू होगा या नहीं। इस मामले म...

जब दोनों उपस्थित गवाहों की मृत्यु हो चुकी हो, तो यह माना जाता है कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 63 के तहत आवश्यक रूप से सत्यापन की आवश्यकता नहीं है,

हिंदू उत्तराध‌िकार अध‌िनियम से पहले और बाद में हिंदू का वसीयत करने का अध‌िकार ---- - #1      अशोक किनीएलआरएस द्वारा वी कल्याणस्वामी (डी) बनाम एलआरएस द्वारा एल भक्तवत्सलम (डी) मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला   वसीयत के निष्पादन से जुड़े कानूनी सिद्धांतों की विस्तृत चर्चा करता है। यह माना जाता है कि , ऐसी स्थिति में , जब वसीयत के दोनों उप‌स्थित गवाह मर चुके हों , तब यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि कम से कम एक उपस्थित गवाह का सत्यापन उसका लिखावट में हो। जब दोनों उपस्थित गवाहों की मृत्यु हो चुकी हो , तो यह माना जाता है कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 63 के तहत आवश्यक रूप से सत्यापन की आवश्यकता नहीं है , बरअक्स कि दोनों गवाहों द्वारा सत्यापन को प्रमाणित किया जाए।फैसले की इस पहलू का पहले ही एक रिपोर्ट में ‌निस्तारण किया जा चुका है। उन तथ्यों को यहां पढ़ा जा सकता है। मौजूदा वसीयत 10.05.1955 को लागू की गई थी , यानी हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम , 1956 लागू होने से पहले। हालांकि , सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के लागू होने से पहले ...