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फ़रवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पति-पत्‍नी को पहले ही बतानी होगी कमाई, गुजारा भत्ता और एलिमनी पर सुप्रीम कोर्ट ने तय कीं गाइडलाइंस

 पति-पत्‍नी को पहले ही बतानी होगी कमाई, गुजारा भत्ता और एलिमनी पर सुप्रीम कोर्ट ने तय कीं गाइडलाइंस #1} Maintenance and Alimony rules in India:                 दोनों पार्टियों को इनकम, खर्च के अलावा जीवन यापन के स्टैंडर्ड के बारे में दस्तावेज देना होगा ताकि उस हिसाब से स्थायी एलमनी तय हो। खर्च के तौर पर बच्चों की शादी के होने वाले खर्च को भी इसमें शामिल करना होगा। बच्चे की शादी का खर्च पति की हैसियत और कस्टम के हिसाब से तय होगा। #1 हाइलाइट्स: वैवाहिक विवाद में पक्षकारों को बताना होगा अपनी संपत्ति और देनदारी का ब्यौरा गुजारा भत्ता के लिए दाखिल आवेदन की तारीख से ही मिलेगा गुजारा भत्ता सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता और एलिमनी के लिए तय किए देश भर के लिए समग्र गाइडलाइंस #2 नईदिल्ली                  सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के मामले में गुजारा भत्ता और निर्वाह भत्ता तय करने के लिए अहम फैसला दिया है और कहा है कि दोनों पार्टियों को कोर्ट में कार्यवाही के दौरान अपनी असेट और लाइब्लिटी ( संपत...

प्रॉपर्टी को लेकर किया जाने वाला काेई भी एग्रीमेंट परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से ही किया जा सकता है।सुप्रीम कोर्ट /

  प्रॉपर्टी को लेकर किया जाने वाला काेई भी एग्रीमेंट परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से ही किया जा सकता है।सुप्रीम कोर्ट / #1 बेटों को मिली प्राॅपर्टी ज्वाइंट फैमिली प्रॉपर्टी, छोटे सदस्यों की सहमति के बिना एग्रीमेंट मान्य नहीं                          55 साल पुराना भूमि विवाद निपटाते हुए सुप्रीम काेर्ट ने एक अहम व्यवस्था दी है। काेर्ट ने कहा कि पिता से बेटों को मिली प्राॅपर्टी, उनकी निजी प्राॅपर्टी नहीं, बल्कि ज्वाइंट फैमिली प्रॉपर्टी होगी। घर के बड़े सदस्यों द्वारा अपनी संतान की सहमति के बिना इस प्राॅपर्टी काे लेकर किया गया एग्रीमेंट मान्य नहीं होगा। जस्टिस की बेंच ने डोडा मुनियप्पा बनाम मुनिस्वामी व अन्य केस में दायर याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।   #2                      काेर्ट ने कहा कि ऐसी प्रॉपर्टी को लेकर किया जाने वाला काेई भी एग्रीमेंट परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से ही किया जा सकता...

भारत में तलाक की डिक्री कब और कैसे मिलती है

 How to Get Decree of Divorce              in India  भारत में तलाक की डिक्री कब और कैसे मिलती है #1                 विवाह विच्छेद के लिए तलाक की डिक्री (Decree of Divorce) प्राप्त करने के लिए विवाह के पश्चात न्यायालय में कब याचिका पेश की जाती है? क्या निर्धारित समय के पहले भी ऐसी याचिका पेश की जा सकती है ? इन्ही सब सवालो के जवाब मिलेंगे।                 हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 14 (Hindu Marriage Act 1976) के अनुसार विवाह की तिथि से 1 वर्ष के भीतर विवाह विच्छेद यानि की तलाक ये डाइवोर्स के लिए कोई याचिका प्रस्तुत नहीं की जा सकती है। पहले में यह अवधि 3 वर्ष की थी। परंतु 1976 में लाए गए संशोधन के अनुसार इस अवधि को 1 वर्ष कर दिया गया है।     #2      क्या निर्धारित समय के पहले भी ऐसी याचिका तलाक (Decree of Divorce) के लिए पेश की जा सकती हैं ?  ...

प्रतिकूल कब्जे के जरिये सरकार को नागरिको की जमीन पर पूर्ण स्वामित्व की अनुमति नहीं दी जा सकती

  Supreme Court Judgment on Adverse Possession Against Govt प्रतिकूल कब्जे के जरिये सरकार को नागरिको की जमीन पर पूर्ण स्वामित्व की अनुमति नहीं दी जा सकती   #1               उच्चतम न्यायालय (SC) ने एक बार फिर (एडवर्स पजेशन) Adverse Possession  जिसे प्रतिकूल कब्जा कहा जाता है, के ऊपर फैसला सुनते हुए हिमाचल प्रदेश की एक 80-वर्षीया निरक्षर विधवा को राहत प्रदान की है, यह फैसला राज्य सरकार के खिलाफ थी जिसकी जमीन राज्य सरकार ने 1967-68 में सड़क निर्माण के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाये बिना जबरन ले ली थी।     #2                    न्यायमूर्ति की पीठ ने व्यवस्था दी कि सरकार नागरिकों से हड़पी जमीन पर पूर्ण स्वामित्व के लिए प्रतिकूल कब्जे (एडवर्स पजेशन, Adverse Possession) के सिद्धांत का इस्तेमाल नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया अपनाये बगैर निजी सम्पत्ति से किसी को जबरन बेदखल करना उसके मानवाधिकार तथा संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत उसके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। ...