गुरुवार, 17 मार्च 2022

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और 12 के तहत हिंदू पुरुष की मृत्यु के बाद संपत्ति विभाजित की जाएगी

 हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और 12 के तहत हिंदू   पुरुष की मृत्यु के बाद संपत्ति       विभाजित  की जाएगी

 हिंदू कानून के तहत
                  हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और 9 हिंदू  पुरुष  की मृत्यु के बाद संपत्ति के वितरण को नियंत्रित करती है। एक हिंदू पुरुष बिना वसीयत मरने पर संपत्ति कक्षा 1 के उत्तराधिकारी को जाती है जो अन्य सभी उत्तराधिकारियों के अपवाद के बाद संपत्ति ले लेता है। और यदि कक्षा 1 नहीं तो कक्षा 2 वारिस को जाती है।
उदाहरण के लिए, यदि पिता अपनी पत्नी और चार बेटों के पीछे छोड़कर मर जाता है, तो प्रत्येक व्यक्ति अपनी संपत्ति के बराबर हिस्से का वारिस होगा, यानी प्रत्येक को पिता की संपत्ति का पाँचवां हिस्सा मिलेगा।


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धारा-8. पुरुष की दशा में उत्तराधिकार के साधारण नियम -  निर्वसीयत मरने वाले हिन्दू पुरुष की सम्पत्ति इस अध्याय के उपबन्धों के अनुसार निम्नलिखित को न्यागत होगी :-
(क) प्रथमतः उन वारिसों को, जो अनुसूची के वर्ग 1 में विनिर्दिष्ट संबंधी हैं;
(ख) द्वितीयतः, यदि वर्ग 1 में वारिस न हो तो उन वारिसों को जो अनुसूची के वर्ग 2 में विनिर्दिष्ट संबंधी हैं:
(ग) तृतीयतः, यदि दोनों वर्गों में किसी में का कोई वारिस न हो तो मृतक के गोत्रजों को; तथा
(घ) अन्ततः, यदि कोई गोत्रज न हो तो मृतक के बन्धुओं को ।

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धारा-9. अनुसूची में के वारिसों के बीच उत्तराधिकार का क्रम -- अनुसूची में विनिर्दिष्ट वारिसों में के वर्ग 1 में के वारिस एक साथ और अन्य सब वारिसों का अपवर्जन करते हुए अंशभागी होंगे; वर्ग 2 में की पहली प्रविष्टि में के वारिसों को दूसरी प्रविष्टि में के वारिसों की अपेक्षा अधिमान प्राप्त होगा; दूसरी प्रविष्टि में के वारिसों को तीसरी प्रविष्टि में के वारिसों की अपेक्षा अधिमान प्राप्त होगा और इसी प्रकार आगे क्रम से अधिमान प्राप्त होगा।

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धारा-10. अनुसूची के वर्ग 1 में के वारिसों में सम्पत्ति का वितरण -- निर्वसीयत की संपत्ति अनुसूची के वर्ग 1 में के वारिसों में निम्नलिखित नियमों के अनुसार विभाजित की जाएगी :
नियम 1-- निर्वसीयत की विधवा को या यदि एक से अधिक विधवाएं हों तो सब विधवाओं को मिलाकर एक अंश मिलेगा।
नियम 2 -- निर्वसीयत के उत्तरजीवी पुत्रों और पुत्रियों और माता हर एक को एक-एक अंश मिलेगा।
नियम 3 -- निर्वसीयत के हर एक पूर्वमृत पुत्र की या हर एक पूर्वमृत पुत्री की शाखा में के सब वारिसों को मिलाकर एक अंश मिलेगा।

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नियम 4 -- नियम 3 में निर्दिष्ट अंश का वितरण :
(i) पूर्वमृत पुत्र की शाखा में के वारिसों के बीच ऐसे किया जाएगा कि उसकी अपनी विधवा को या सब विधवाओं को मिलाकर और उत्तरजीवी पुत्रों और पुत्रियों को बराबर भाग प्राप्त हों, और उसके पूर्वमृत पुत्रों की शाखा को वही भाग प्राप्त हो;
(i) पूर्वमृत पुत्री की शाखा में के वारिसों के बीच ऐसे किया जाएगा कि उत्तरजीवी पुत्रों और पुत्रियों को बराबर भाग प्राप्त हों ।धारा-11. अनुसूची के वर्ग 2 में के वारिसों में सम्पत्ति का वितरण -- अनुसूची के वर्ग 2 में किसी एक प्रविष्टि में विनिर्दिष्ट वारिसों के बीच निर्वसीयत की सम्पत्ति ऐसे विभाजित की जाएगी कि उन्हें बराबर अंश
मिले ।
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धारा-12. गोत्रजों और बन्धुओं में उत्तराधिकार का क्रम -- गोत्रजों या बंधुओं में, यथास्थिति, उत्तराधिकार का क्रम यहां नीचे दिए हुए अधिमान के नियमों के अनुसार अवधारित किया जाएगा :
नियम 1-- दो वारिसों में से उसे अधिमान प्राप्त होगा जिसकी ऊपरली ओर की डिग्रियांUpward degrees अपेक्षातर कम हों या हों ही नहीं ।
नियम 2 -- जहां कि ऊपरली ओर की डिग्रियों की संख्या एक समान हों या हों ही नहीं उस वारिस को अधिमान प्राप्त होगा, जिसकी निचली ओर की डिग्रियां Lower degreesअपेक्षातर कम हों या हों ही नहीं ।
नियम 3 -- जहां कि नियम 1 या नियम 2 के अधीन कोई सा भी वारिस दूसरे से अधिमान का हकदार न हो वहां दोनों साथ-साथ अंशभागी होंगे।
 एक वसीयत के तहत विरासत
एक वसीयत या वसीयतनामा एक व्यक्ति की इच्छाओं को व्यक्त करते हुए एक कानूनी घोषणा है, जिसमें एक या अधिक व्यक्तियों के नाम शामिल हैं जो वसीयत कर्ता की संपत्ति का प्रबंधन कर रहे हैं और मृत्यु पर मृतक की संपत्ति का हस्तांतरण प्रदान करते हैं।
यदि एक पिता (टेस्टेटर) वसीयत पीछे छोड़ देता है, तो संपत्ति भाइयों के बीच वितरित की जाएगी। एक निष्पादक को वसीयत कर्ता द्वारा नियुक्त किया जाता है, जो कि अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासक से अलग माना जाता है।
 
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