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सितंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कोर्ट मैरिज के लिए 30 दिन का नोटिस प्रकाशित करना जरूरी नही है

  कोर्ट मैरिज के लिए 30 दिन का नोटिस प्रकाशित करना जरूरी नही है @1                घर पर नोटिस भेजना क्यों जरूरी इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला         भारत में अभी कोर्ट मैरिज को या कोर्ट मैरिज करने वालों को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता । और इसका सबसे बड़ा कारण है भारत में लोगों की यह मान्यता की कोर्ट मैरिज सिर्फ वही लोग करते हैं जो घर से भागते हैं या फिर जिनकी मैरिज इंटर कास्ट होती है । ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट का जजमेंट और भी अहम हो जाता है जिस में फैसला सुनाते हुए यह माना कि  स्पेशल मैरिज एक्ट 1954   की धारा 6 के तहत नोटिस पब्लिश करना और धारा 7 के तहत उस शादी पर किसी तरह की आपत्ति को आमंत्रित करना निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है । @2         दोस्तों होता यूं है कि जब कोई कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन करता है तो कोर्ट मैरिज के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है । इस बीच रजिस्ट्रार के ऑफिस के बाहर एक नोटिस पब्लिश करके लगा दिया जाता है । जिसमें अगर किसी को उन दोनों की मैरिज से कोई भी प...

प्रतिकूल कब्जे की संपत्ति को कैसे बचाएँ?

  प्रतिकूल कब्जे की संपत्ति को कैसे बचाएँ ? @1                   किसी भी संपत्ति पर आप का कब्जा बिना किसी दस्तावेज के है और आप        निजी संपत्ति पर 12 वर्ष और सरकारी संपत्ति पर 30 वर्ष से अधिक समय से  काबिज हैं तो आप का उस संपत्ति पर कब्जा प्रतिकूल हो चुका है और आप से  ऐसी संपत्ति का कब्जा कानूनी रूप से नहीं ले सकता है। जब तक आप के  विरुद्ध वह संपत्ति खाली करने की अदालत की कोई डिक्री न हो और उस के  निष्पादन में जब क सरकारी मशीनरी ( नाजिर और पुलिस ) खुद उसे खाली  कराने न आए तब तक उस स्थान को छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है।   @2 ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- READ MORE- --- 1}गिफ्ट(Gift) की गई संपत्ति के स्वामित्व के लिए स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान का महत्व? 2}Stay Order का क्या मतलब होता है? प्रॉपर्टी पर स्थगन आदेश क्या होता हैं? प्रॉपर्टी के निर्माण पर स्थगन आदेश कैसे होता है? 3}क्यों जरू...

पुश्तैनी संपत्ति और हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम

  पुश्तैनी संपत्ति और हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम    @1               यदि किसी पुरुष को अपने पिता से कोई संपत्ति उत्तराधिकार में प्राप्त होती है  तो वह पैतृक संपत्ति है , क्या ? । इस में पौत्रों व परपौत्रों का भी हिस्सा होता  है , क्या ? । दादा जी का देहान्त २००१ में हुआ। पिता जी की कोई बहन या  बहनें नहीं हैं। दादा जी ने इसे स्वयं अर्जित किया था। परंपरागत हिन्दू विधि में यह सिद्धान्त था कि यदि किसी पुरुष को अपने पिता ,   दादा या परदादा से उत्तराधिकार में संपत्ति प्राप्त हो तो वह उस की स्वयं की  संपत्ति नहीं होगी अपितु एक पुश्तैनी जायदाद होगी। जिस में उस के चार पीढ़ी  तक के वंशजों का समान हिस्सा होगा। ऐसी संपत्ति सहदायिक संपत्ति कही  जाती है। @2                   लेकिन 17 जून 1956 को हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रभावी होते ही  यह स्थिति परिवर्तित हो गई। इस अधिनियम की धारा 8 में प्रावधान किया  गया कि किसी पुरुष की संपत्ति का उत्त...