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शुक्रवार, 9 अगस्त 2024
@1-
बढ़ती महंगाई व धन की कमी मकान बनाने वाले को सोचने पर मजबूर कर देती है। ऐसी हालत में यदि कोई मकान बनाता है तो बस यही सोचकर बनाता है कि हम अपने बनाए अशियाने में सुख से रह सकें। अशांति, अकस्मात दुर्घटना, बीमारी, मानसिक परेशानियों से बच सकें। धन-धान्य से पूर्ण घर में सुख-शांति रहे। आपसी तालमेल बना रहे आदि-आदि।
@4-
3. जमीन का ढलान पूर्व-उत्तर में हो तो शुभ रहेगा।
मंगलवार, 2 जुलाई 2024
कहीं भी जीरो FIR, 30 दिन में फैसला...
कहीं भी जीरो FIR, 30 दिन में फैसला...
@1 -समझें- नए कानूनों से कैसे तारीख पर तारीख से मिलेगी मुक्ति, समय पर मिल सकेगा न्यायभारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम आज यानी 1 जुलाई से प्रभावी हो गए हैं. इन कानूनों ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है. भारतीय दंड संहिता से लेकर भारतीय न्याय संहिता तक में बदलाव किए गए हैं. अब इलेक्ट्रानिक कम्युनिकेशन के जरिए सूचना दिए जाने पर भी FIR लिखी जा सकेगी.
@2- अगर ई-FIR दर्ज करवाई जाती है तो तीन दिन के भीकर पीड़ित को थाने जाना होगा.देश में तीनों नए आज यानी एक जुलाई से कानून लागू हो गए हैं. अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के तहत न्याय व्यवस्था आगे बढ़ेगी. नए कानून में डिजिटली साक्ष्य से लेकर ई-एफआईआर और फोरेंसिक लैब पर जोर दिया गया है. BNS के हर प्रावधान में समय-सीमा तय की गई है. @3 --एफआईआर से लेकर जांच, चार्जशीट और कोर्ट के फैसले तक के लिए समय-सीमा निर्धारित कर दी गई है. माना जा रहा है कि इससे ना सिर्फ पुलिस जांच में तेजी आएगी, बल्कि कोर्ट की कार्रवाई में भी तेजी आएगी और जल्द निर्णनए कानून के मुताबिक, कोर्ट को पहली सुनवाई की तारीख से 60 दिन के अंदर आरोप तय करना होगा. अंतिम सुनवाई के बाद अधिकतम 45 दिन में फैसला सुनाना जरूरी किया गया है. जांच और फैसलों में तेजी के लिए अब ईमेल, मोबाइल मैसेज भी साक्ष्य के तौर पर स्वीकार किए जाएंगे. इससे कोर्ट में तारीख पे तारीख वाली स्थिति नहीं बनेगी और केस जल्दी निपटेंगे.
@4 --न्यायिक सिस्टम में क्या बदलाव आएगा...
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6}हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम से पहले और बाद में हिंदू का वसीयत करने का अधिकार
7}निःशुल्क कानूनी सहायता-
8}संपत्ति का Gift "उपहार" क्या होता है? एक वैध Gift Deed के लिए क्या आवश्यक होता है?
मंगलवार, 10 अक्तूबर 2023
एक से ज्यादा लोगों के बीच कैसे बांटी जाती है प्रॉपर्टी
अगर कोई शख्स किसी अन्य के साथ संयुक्त रूप से प्रॉपर्टी का मालिक है तो इसका मतलब यह नहीं कि संपत्ति में उसका आधा हिस्सा है। यह प्रॉपर्टी में निवेश पर निर्भर करता है, जिसकी जानकारी बैनामे में होती है। लेकिन एेसी जानकारी न होने पर कानून यह मानकर चलता है कि सभी मालिकों का हिस्सा बराबर है और टाइटल भी गैर-विभाजित है।
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बुधवार, 28 जून 2023
हिन्दू विवाह अधिनियम - धारा 9, दाम्पत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन.....
हिन्दू विवाह अधिनियम - धारा 9, दाम्पत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन...@1
विवरण
जबकि पति या पत्नी में से किसी ने युक्तियुक्त प्रतिहेतु के बिना दूसरे से अपना साहचर्य प्रत्याहत कर लिया है, तब परिवेदित पक्षकार दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन के लिये याचिका द्वारा आवेदन जिला न्यायालय में कर सकेगा और न्यायालय ऐसी याचिका में किये गये कथनों की सत्यता के बारे में और बात के बारे में आवेदन मंजूर करने का कोई वैध आधार नहीं है; अपना समाधान हो जाने पर तदनुसार दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन के लिए आज्ञप्ति देगा।
@2 स्पष्टीकरण -
जहाँ प्रश्न यह उठता है कि क्या साहचर्य से प्रत्याहरण के लिए युक्तियुक्त प्रतिहेतु है, वहाँ युक्तियुक्त प्रतिहेतु साबित करने का भार उस व्यक्ति पर होगा जिसने साहचर्य से प्रत्याहरण किया है।
@3
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