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मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

देश के अन्य प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं :

 देश के अन्य प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं : *अरावली रेंज* राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली राज्यों में फैली हुई है यह भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला है, एक प्राचीन पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है उच्चतम बिंदु- गुरु शिखर, माउंट आबू, राजस्थान. *विंध्य रेंज* मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार में फैली हुई है इसमें पहाड़ी मैदान, पठार और असमान पर्वत श्रंखलाएँ हैं नर्मदा नदी का स्रोत यहां पर है/ *पश्चिमी घाट* गुजरात से तमिलनाडु तक भारत के पश्चिमी तट पर फैली है यह श्रंखला अपने समृद्ध वनस्पतियों और जीवों, राष्ट्रीय उद्यानों और जीवमंडल भंडार (biosphere reserve) के लिए प्रसिद्ध है सह्याद्री रेंज और अन्नामलाई पहाड़ियों जैसे अन्य पहाड़ी पर्वतमालाओं इसमें शामिल हैं यह दुनिया के दस जैवविविधता (Biodiversity) के आकर्षण केंद्रों में से एक है *पूर्वी घाट* भारत के पूर्वी तट पर फैले हुए हैं यह पश्चिमी घाट के विपरीत एक अनियमित श्रंखला है शेवरॉय पहाड़ियों और जावड़ी पहाड़ियों जैसी कई अन्य पहाड़ी पर्वतमालाएं इसमें शामिल हैं  *पट्काई रेंज* यह पूर्वोत्तर भारत की एक बड़ी पहाड़ी श्रृंखला है ...

पिता की संपत्ति पर बेटी का हक जानें, क्या कहता है........... (हिंदू उत्तराधिकार कानून)

 पिता की संपत्ति पर बेटी कब कर सकती है दावा, कब नहीं ? जानें, क्या कहता है हिंदू उत्तराधिकार कानून इसमें दो राय नहीं कि पिता, भाई, पति अथवा अन्य किसी पर भी वित्तीय निर्भरता से महिलाओं की जिंदगी कठिन हो जाती है। यही वजह है कि हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 में साल 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया। बावजूद इसके, क्या पिता अपनी बेटी को पूर्वजों की संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार कर सकता है? आइए देखें क्या कहता है कानून...   1)पैतृक    संपत्ति    हो    तो हिंदू लॉ में संपत्ति को दो श्रेणियों में बांटा गया है- पैतृक और स्वअर्जित। पैतृक संपत्ति में चार पीढ़ी पहले तक पुरुषों की वैसी अर्जित संपत्तियां आती हैं जिनका कभी बंटवारा नहीं हुआ हो। ऐसी संपत्तियों पर संतानों का, वह चाहे बेटा हो या बेटी, जन्मसिद्ध अधिकार होता है। 2005 से पहले ऐसी संपत्तियों पर सिर्फ बेटों को अधिकार होता था। लेकिन, संशोधन के बाद पिता ऐसी संपत्तियों का बंटवारा मनमर्जी से नहीं कर सकता। यानी, वह बेटी को हिस्सा देने से इन...

भारतीय संविधान में किन देशों से क्या लिया गया है

 भारतीय संविधान में किन देशों से क्या लिया गया है Britain-     Parliamentary form of Government,  Single Citizenship, Rule of Law , Legislation, Office of CAG,  Bi-cameral Parliamentary System. (संसदीय प्रणाली, विधि निर्माण, एकलनागरिकता).                 Germany & France- जर्मनी :-Emergency provision.  Suspension of Rights during Emergency,  (आपातकाल का सिद्धांत).  ‪France:-Ideals of Liberty, Equality and Fraternity.  फ्रांस--- (गणत्रंतात्मक शासन व्यवस्था). USA -(America)-   Fundamental Rights,  Electoral College , Office of the Vice- President , Independence of the Judiciary and Separation of powers among the three branches of the Government, Judicial Review,  President as Supreme Commander of Armed forces , Impeachment of President and SC & HC Judges. (न्यायिक, स्वतंत्रता का अधिकार और मौलिक अधिकार).  Australia -  Freedom of trade and commerce within ...

जानिए अपनी संपत्ति को अवैध कब्जे से वापस प्राप्त करने के उपाय

 जानिए अपनी संपत्ति को अवैध कब्जे से वापस प्राप्त करने के उपाय आम तौर पर अवैध कब्जे दो तरीकों से किया जा सकता है     जब कुछ लोग गलत दस्तावेजों को दिखाकर और ज़बरदस्ती (बल का प्रयोग) करके किसी संपत्ति पर कब्जा कर लेते हैं। जब वो लोग इस कार्य को करना शुरू करते हैं, तब से यह कार्य गैरकानूनी हो जाता है।     ऐसा अवैध कब्जा तब भी हो सकता है, जब कोई किरायेदार आपके परिसर को खाली करने से इनकार करता है। किरायेदारों द्वारा उपयोग की जाने वाली सबसे आम बचाव प्रतिकूल कब्जे का होता है। यह सलाह दी जाती है, कि अपने आवास को किराए पर देने से पहले एक उचित किराया समझौता करें और साथ ही ऐसी स्थितियों में शामिल होने से बचने के लिए मजबूत उपाय करें। ये स्थितियां ज्यादातर तब उत्पन्न होती हैं, जब गैरकानूनी रूप से कब्जे वाले संपत्तियों को लापरवाह, किरायेदारों द्वारा अनिर्दिष्ट स्थिति के साथ असुरक्षित छोड़ दिया जाता है, या ऐसी संपत्ति जो बर्षों से पड़ी हुई हैं, जो सीधे ऐसे कुख्यात लोगों के लिए एक आसान लक्ष्य बन जाते हैं। प्रतिकूल कब्ज़ा तब होता है, जब संपत्ति का सही मालिक अपनी संपत्ति...

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और 12 के तहत हिंदू पुरुष की मृत्यु के बाद संपत्ति विभाजित की जाएगी

 हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और 12 के तहत हिंदू   पुरुष की मृत्यु के बाद संपत्ति       विभाजित  की जाएगी   हिंदू कानून के तहत                   हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और 9 हिंदू  पुरुष  की मृत्यु के बाद संपत्ति के वितरण को नियंत्रित करती है। एक हिंदू पुरुष बिना वसीयत मरने पर संपत्ति कक्षा 1 के उत्तराधिकारी को जाती है जो अन्य सभी उत्तराधिकारियों के अपवाद के बाद संपत्ति ले लेता है। और यदि कक्षा 1 नहीं तो कक्षा 2 वारिस को जाती है। उदाहरण के लिए, यदि पिता अपनी पत्नी और चार बेटों के पीछे छोड़कर मर जाता है, तो प्रत्येक व्यक्ति अपनी संपत्ति के बराबर हिस्से का वारिस होगा, यानी प्रत्येक को पिता की संपत्ति का पाँचवां हिस्सा मिलेगा। @1 धारा-8. पुरुष की दशा में उत्तराधिकार के साधारण नियम -  निर्वसीयत मरने वाले हिन्दू पुरुष की सम्पत्ति इस अध्याय के उपबन्धों के अनुसार निम्नलिखित को न्यागत होगी :- (क) प्रथमतः उन ...

किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए “वरदान” से कम नहीं रेंट कंट्रोल एक्ट, जानिए कैसे

  किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए “वरदान” से कम नहीं रेंट कंट्रोल एक्ट, जानिए कैसे                               घर को किराये पर देना रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत आता है। हर राज्य में कानून अलग-अलग हैं। आज हम इसी कानून की मुख्य बातें आपको बताने जा रहे हैं। साथ ही यह भी बताएंगे कि कैसे यह मकान मालिक और किरायेदारों के अधिकारों की रक्षा करता है।    @1                   जब कोई मकान मालिक अपना घर किराये पर देता है या कोई किराये के घर में रहता है तो एेसी गतिविधि रेंट कंट्रोल एक्ट के दायरे में आती है। हर राज्य का अपना रेंट कंट्रोल एक्ट है। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में रेंट कंट्रोल एक्ट, 1999 है तो दिल्ली में रेंट कंट्रोल एक्ट, 1958। वहीं चेन्नई में तमिलनाडु बिल्डिंग्स (लीज एंड रेंट कंट्रोल) एक्ट, 1960। रेंट कंट्रोल एक्ट का मुख्य काम यही है कि मकानमालिकों और किरायेदारों के बीच के विवादों को सुलझाया जा सके। रेंट कंट्रोल एक्ट की मुख्य बातें: , ”रेंट कंट्रोल एक...