property distribution.
एक से ज्यादा लोगों के बीच कैसे बांटी जाती है प्रॉपर्टी,
#1
यहां जानिए हर छोटी-बड़ी बात
अगर प्रॉपर्टी परिवार के लोगों के बीच बांटनी हो तो बंटवारानामा बनवाया जाता है। इस दस्तावेज के जरिए कानूनी तौर पर प्रॉपर्टी के सभी वारिसों को हिस्सा दिया जाता है और वह इसके मालिक बन जाते हैं। लागू होने वाले कानून के तहत हर सह-मालिक को उसका हिस्सा दिया जाता है। बंटवारे के बाद हर प्रॉपर्टी को नया टाइटल मिलता है और हर सह-मालिक दूसरे के हिस्से में अपना हित छोड़ देता है। कम शब्दों में कहें तो यह एेसी प्रक्रिया है, जिसमें संपत्ति का सरेंडर और अधिकारों का ट्रांसफर शामिल है। जिस शख्स को जो हिस्सा मिलता है, वही उसका नया मालिक बन जाता है और अपनी मर्जी से वह उस संपत्ति के साथ जो चाहे व्यवहार कर सकता है यानी उसे बेचने, ट्रांसफर, एक्सचेंज या गिफ्ट के तौर पर देने का अधिकार उसी के पास आ जाता है।
आपसी सहमति: आपसी सहमति के मामले में बंटवारानामा प्रॉपर्टी के सह-मालिकों के बीच होता है। लेकिन इसे कानूनी शक्ल देने के लिए बंटवारानामा इलाके के सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में रजिस्टर्ड कराना पड़ता है। एक से ज्यादा लोग भी प्रॉपर्टी के मालिक हो सकते हैं और उन सभी के पास संपत्ति का इस्तेमाल करने का समान या निश्चित प्रतिशत होता है। जॉइंट ओनरशिप या संयुक्त स्वामित्व का एक अहम पहलू गैर-विभाजित शेयर है। हालांकि प्रॉपर्टी में सभी सह-मालिक समान होते हैं या कुछ हिस्से के मालिक। उनका शेयर निश्चित सीमाओं के साथ पता नहीं लगाया जा सकता। इसलिए शेयर गैर-विभाजित रहते हैं। लेकिन अगर सह-मालिकों का प्रॉपर्टी के बंटवारे पर एक नजरिया नहीं है तो फिर इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। इसके बाद स्टैंप पेपर पर स्पष्ट तरीके से हर शख्स का हिस्सा और बंटवारे की तारीख लिखी जानी चाहिए। यह नया बंटवारानामा भी सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए, ताकि उसे कानूनी शक्ल दी जा सके। #2
जॉइंट ओनरशिप का मतलब समान शेयर नहीं होता: अगर कोई शख्स किसी अन्य के साथ संयुक्त रूप से प्रॉपर्टी का मालिक है तो इसका मतलब यह नहीं कि संपत्ति में उसका आधा हिस्सा है। यह प्रॉपर्टी में निवेश पर निर्भर करता है, जिसकी जानकारी बैनामे में होती है। लेकिन एेसी जानकारी न होने पर कानून यह मानकर चलता है कि सभी मालिकों का हिस्सा बराबर है और टाइटल भी गैर-विभाजित है। #3
संपत्ति विरासत होती है: सह-मालिकों को संपत्ति में हिस्सा विरासत के तौर पर मिला है, जो एक से दूसरे को दिया जा सकता है। एेसे में हर सह-मालिक के निवेश का हिस्सा साफ बताया जाना चाहिए। इसका मकसद ट्रांसफर, विरासत या टैक्स में होने वाली किसी भी तरह की परेशानी से बचना है। हर किसी को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि प्रॉपर्टी का बंटवारा विरासत के कानूनों से जुड़ा है। हिंदू, मुस्लिम और ईसाइयों के अलग और मुश्किल प्रॉपर्टी कानून होते हैं। अगर पिता खुद की कमाई हुई संपत्ति छोड़कर चले जाते है तो उसका बेटा प्रॉपर्टी का मालिक बन जाएगा। लेकिन पोता उसे पुरखों की बताकर दावा नहीं ठोक सकता, क्योंकि प्रॉपर्टी हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत मिली है।
#4 THANK YOU
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