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महामारी अधिनियम क्या है (महामारी एक्ट)1987)

(Epidemic Disease Act, 1987)

#1

महामारी अधिनियम क्या है 

(महामारी एक्ट)

क्या है महामारी एक्ट, जिसे Corona से लड़ने के लिए इस्तेमाल कर रही है भारत सरकार // भारत में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए सरकार महामारी एक्ट की मदद ले रही है। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसके लिए निर्देश दे दिया गया है।, 

#2

क्या है ये एक्ट और क्या हैं इसके प्रावधान, कोरोना से लड़ने में किस तरह मदद कर सकता है ये कानून  

क्या होता है महामारी एक्ट, जानें कब लगाती है सरकार?

देश में महामारी एक्ट लागू है. महामारी एक्ट में जो नियमों और आदेशों का उल्लंघन करेगा, वो अब अपराध है. महामारी एक्ट कोई राज्य सरकार तब लागू कर सकती है, जब उसे लगे कि महामारी की रोकथाम के लिए ये जरूरी है.

#3

कब लागू कर सकती है सरकार?

 महामारी अधिनियम 1897 के लागू होने के बाद सरकारी आदेश को ना मानना अपराध है. आईपीएसी की धारा 188 के तहत इसमें सजा का प्रावधान है. ये एक्ट अधिकारियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है.

          इसके अलावा भारत सरकार ने देशभर में महामारी एक्ट (Epidemic Act) की मदद लेने का भी निर्देश जारी किया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, । इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को महामारी बीमारी कानून (Epidemic Disease Act, 1987) के सेक्शन 2 के प्रावधानों की मदद लेने के लिए कहा है। इस कानून के तहत उत्तर प्रदेश के आगरा में एक केस दर्ज भी किया जा चुका है।

#4          क्या है ये महामारी कानून, इसे कब, किसने और क्यों बनाया, इसके प्रावधान क्या हैं, महामारी कानून के सेक्शन 2 में क्या कहा गया है, इस कानून की खास बातें क्या हैं.. इन सभी सवालों के जवाब आपको आगे बताए जा रहे हैं।

क्या है महामारी कानून?

ये कानून आज से 123 साल पहले साल 1897 में बनाया गया था, जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था। तब बॉम्बे में ब्यूबॉनिक प्लेग नामक महामारी फैली थी। जिस पर काबू पाने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने ये कानून बनाया। महामारी वाली खतरनाक बीमारियों को फैलने से रोकने और इसकी बेहतर रोकथाम के लिए ये कानून बनाया गया था। इसके तहत तत्कालीन गवर्नर जेनरल ने स्थानीय अधिकारियों को कुछ विशेष अधिकार दिए थे।

#5

महामारी कानून की खास बातें

         ये कानून भारत के सबसे छोटे कानूनों में से एक है। इसमें सिर्फ चार सेक्शन बनाए गए हैं।

        पहले सेक्शन में कानून के शीर्षक और अन्य पहलुओं व शब्दावली को समझाया गया है। दूसरे सेक्शन में सभी विशेष अधिकारों का जिक्र किया गया है जो महामारी के समय में केंद्र व राज्य सरकारों को मिल जाते हैं।

         तीसरा सेक्शन कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता (IPC - Indian Penal Code) की धारा 188 के तहत मिलने वाले दंड/जुर्माने का जिक्र करता है। चौथा और आखिरी सेक्शन कानून के प्रावधानों का क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों को कानूनी संरक्षण देता है।

#6

क्या कहता है Epidemic Act Section 2

     इसमें महामारी के दौरान सरकार को मिलने वाले विशेषाधिकारों का जिक्र किया गया है। इसके अनुसार, सरकार जरूरत महसूस होने पर अधिकारियों को सामान्य प्रावधानों से अलग अन्य जरूरी कदम उठाने के लिए कह सकती है।

          सरकार के पास रेलवे या अन्य साधनों से यात्रा कर रहे लोगों की जांच करने/करवाने का अधिकार है। जांच कर रहे अधिकारी को अगर किसी व्यक्ति के संक्रमित होने का शक भी होता है, तो वह उसे भीड़ से अलग किसी अस्पताल या अन्य व्यवस्था में रख सकता है।

  #7        महामारी कानून के सेक्शन 3 के तहत इसका जिक्र किया गया है। इसके अनुसार, कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने / न मानने पर दोषी को 6 महीने तक की कैद या 1000 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।

         सरकार किसी बंदरगाह से आ रहे जहाज या अन्य चीजों की पूरी जांच कर सकती है, उसे डिटेन भी कर सकती है।

उल्लंघन पर क्या लगेगा जुर्माना.

  #8

THE EPIDEMIC DISEASES ACT, 

1897________

_ARRANGEMENT OF SECTIONS

_________

SECTIONS

1. Short title and extent.
2. Power to take special measures and prescribe regulations as to dangerous epidemic disease.
2A. Powers of Central Government.
3. Penalty.
4. Protection to persons acting under Act.

#9

THE EPIDEMIC DISEASES ACT, 1897ACT NO. 3 OF 18971[4th February, 1897.]

An Act to provide for the better prevention of the spread of Dangerous Epidemic Diseases.
WHEREAS it is expedient to provide for the better prevention of the spread of dangerous epidemic 
disease; It is hereby enacted as follows :—
1. Short title and extent.—(1) This Act may be called the Epidemic Diseases Act, 1897.

[(2) It extends to the whole of India except 3 
[the territories which, immediately before the 1st 
November, 1956, were comprised in Part B States]] 4
* * *
5
* * * * *
6
#2. Power to take special measures and prescribe regulations as to dangerous epidemic 
disease.

—(1) When at any time the 
[State Government] is satisfied that  
[the State] or any part 
thereof is visited by, or threatened with, an outbreak of any dangerous epidemic disease, the 8 
[State 
Government], if 9 
[it] thinks that the ordinary provisions of the law for the time being in force are 
insufficient for the purpose, may take, or require or empower any person to take, such me asures 
and, by public notice, prescribe such temporary regulations to be observed by the public or by any 
person or class of persons as 
[it] shall deem necessary to prevent the outbreak of such disease or 
the spread thereof, and may determine in what manner and by whom any expenses incurred 
(including compensation if any) shall be defrayed.
(2) In particular and without prejudice to the generality of the foregoing provisions, the  

[State 
Government] may take measures and prescribe regulations for—
10* * * * *
(b) the inspection of persons travelling by railway or otherwise, and the segregation, in hospital,
temporary accommodation or otherwise, of persons suspected by the inspecting officer of being infected 
with any such disease.
11* 1
#[2A. Powers of Central Government.—When the Central Government is satisfied that India 
or any part thereof is visited by, or threatened with, an outbreak of any dangerous epidemic 
disease and that the ordinary provisions of the law for the time being in force are insufficient to 
prevent the outbreak of such disease or the spread thereof, the Central Government may take measures and prescribe regulations for the inspection of any ship or vessel leaving or arriving at any port in 2 [the territories to which this Act extends] and for such detention thereof, or of any person intending to sail therein, or arriving thereby, as may be necessary.]

#3. Penalty.—Any person disobeying any regulation or order made under this Act shall be deemed to have committed an offence punishable under section 188 of the Indian Penal Code (45 of 1860).
#4. Protection to persons acting under Act.—No suit or other legal proceeding shall lie against any person for anything done or in good faith intended to be done under this Act.

                                     thank you

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