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क्या है IPC और CrPC में अंतर, कब बना था ये कानून ?

क्या है IPC और CrPC में अंतर, 

कब बना था ये कानून ?

#1
IPC और CrPC. इनमें तय किया जाता है कि, किन प्रक्रियाओं के तहत अपराधी को गिरफ्तार किया जाए. 
जानते हैं पूरी जानकारी-----

IPC --- 

                    यानी इंडियन पेनल कोड जिसे हिंदी में भारतीय दंड संहिता  कहते हैं. IPC में कुल मिलाकर 511 धाराएं    ( Sections) और 23 chapters हैं. 1834 में पहला विधि आयोग (first law of commission) बनाया गया था. इसके चेयरपर्सन लॉर्ड मैकॉले थे.आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व का सबसे बड़ा दांडिक संग्रह (IPC) से बड़ा देश में और कोई भी दांडिक कानून नहीं है.

#2

क्या है CrPC------

              CrPC की  इंग्लिश में 'कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर' और हिंदी में 'दण्ड प्रक्रिया संहिता' कहते है.  इसका कानून  1973 में पारित हुआ और 1 अप्रैल 1974 से लागू हुआ था.

              जब भी कोई अपराध होता है उसमें दो तरह की प्रक्रिया होती है. पहली पुलिस किसी अपराधी की जांच करने के लिए अपनाती है. एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है.

  #3

क्या है IPC और CrPC में क्या अंतर-----

इस कानू को कानून को दो हिस्से में बांटा गया है:

1. मौलिक विधि (Substantive law)

2. प्रक्रिया विधि (Procedural Law)

        मौलिक विधि और प्रक्रिया विधि को फिर से  दो भागों में बांटा जाता है. सिविल कानून (Civil law) और दाण्डिक कानून (Criminal Law).  

    जिसमें सिविल कानून (Civil law) को IPC और  दाण्डिक कानून (Criminal Law) को  CrPC कहते हैं.

        IPC, (Substantive law) है और 

         CrPC (Procedural Law) है.

#4

IPC और CrPC कानून

IPC- ये अपराध की परिभाषा करती है और दण्ड का प्रावधान की जानकारी देती है

CrPC- आपराधिक मामले के लिए किए गए प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देती है. इसका उद्देश्य आपराधिक प्रक्रिया से संबंधित कानून को मजबूत करना है.

#5

क्या है उद्देश्य------

                 इसका मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में एक तरह का पीनल कोड लागू किया जा सके ताकि अलग-अलग क्षेत्रीय कानूनों की जगह एक ही कोड हो सके. इसी के साथ ये IPC और CrPC कानून खराब व्यवहार की इजाजत नहीं देता. गलत व्यवहार करने पर अपराधी को इससे नुकसान पड़ता है.

 

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