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महिला की गिरफ़्तारी को लेकर क्या कहता है क़ानून

                  "बहुत से ऐसे उदाहरण हैं जिसमें महिला को गिरफ़्तार करने के बाद उनके साथ यौन हिंसा और प्रताड़ना की बात सामने आई, इन्हीं सारे मामलों को देखते हुए क़ानून बनाया गया कि मामला चाहे जो भी किसी भी महिला को शाम छह बजे के बाद और सुबह छह बजे के पहले गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता." 

 

"उसे हाउस-अरेस्ट किया जा सकता है और वो भी महिला पुलिस द्वारा ही. लेकिन किसी भी सूरत में दिन ढलने के बाद उसकी गिरफ्तारी ग़ैर-काननी है."
#2
 सिर्फ़ महिलाओं के लिए नहीं, हर गिरफ़्तारी के कुछ तय नियम हैं.
"बात महिलाओं की गिरफ़्तारी  करें तो सबसे अहम है कि उनकी गिरफ़्तारी दिन ढलने के बाद नहीं हो सकती. ना ही उन्हें दिन ढलने के बाद पुलिस स्टेशन बुलाया जा सकता है."

#3---------------------------------------------------------------
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क़ानूनी प्रावधान-----
⇨         अगर किसी रिपोर्ट के सिलसिले में आपको महिला से पूछताछ करनी है और दिन ढल चुका है तो पुलिस को ही उसके घर जाना होगा.
⇨         महिला की जांच एक महिला पुलिसकर्मी ही कर सकती है. कोई पुरुष पुलिसकर्मी, किसी भी सूरत में उसे हाथ नहीं लगा सकता.

⇨         अगर कोई नाबालिग बच्ची है तो उसकी जांच-पड़ताल के दौरान उसके माता-पिता या अभिभावकों का मौजूद होना अनिवार्य है. नाबालिग की जांच के दौरान पुलिस ये कभी नहीं बोल सकती कि माता-पिता को कहीं और जाना होगा. (ये नियम हर नाबालिग के लिए है.)
#4
⇨        हथकड़ी का क़ानून मुख्य रूप से महिलाओं के लिए नहीं है लेकिन ज़्यादातर लोगों को इस बारे में पता नहीं होता. इस क़ानून के तहत हथकड़ी तब तक नहीं लगाई जा सकती जब तक कि गिरफ़्तार करने आए अधिकारी के पास कोर्ट का आदेश न हो. (अगर कोई आपराधिक रिकॉर्ड हो और पुलिस को डर हो कि वह व्यक्ति भाग जाएगा, तभी उसे हथकड़ी लगाई जा सकती है)
⇨       अगर कोई महिला गिरफ़्तारी के दौरान गर्भवती है तो वह अपने साथ किसी सहयोगी की मांग कर सकती है.
⇨        अगर कोई मेडिकल जांच होनी है तो महिला अपने किसी विश्वासपात्र को अपने साथ रख सकती है. इसमें सबसे अहम ये है कि मेडिकल जांच में जो भी निकल के आता है उस पर डॉक्टर के हस्ताक्षर होना ज़रूरी है.
#5
⇨        इसके अलावा अगर कोई रिपोर्ट 24 घंटे देरी से आती है तो उसमें इस देरी का कारण भी लिखा होना चाहिए.
⇨         गिरफ़्तारी के दौरान महिला गिरफ़्तार करने आए अधिकारी से महिला उस धारा के बारे में पूछ सकती है जिसके तहत उसे गिरफ़्तार किया जा रहा है. इसके अलावा पुलिस को ये बताना अनिवार्य होता है कि गिरफ़्तारी के बाद उस महिला को कहां रखा जाएगा. हालांकि ये कानून सभी के लिए हैं.
#6
⇨        24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है.
⇨         इसके अलावा गिरफ़्तारी के बाद महिला को जिस पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा है वहां महिला पुलिस अधिकारी का होना ज़रूरी है. 

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