पति-पत्नी को पहले ही बतानी होगी कमाई, गुजारा भत्ता और एलिमनी पर सुप्रीम कोर्ट ने तय कीं गाइडलाइंस
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Maintenance and Alimony rules in India:
दोनों पार्टियों को इनकम, खर्च के अलावा जीवन यापन के स्टैंडर्ड के बारे में दस्तावेज देना होगा ताकि उस हिसाब से स्थायी एलमनी तय हो। खर्च के तौर पर बच्चों की शादी के होने वाले खर्च को भी इसमें शामिल करना होगा। बच्चे की शादी का खर्च पति की हैसियत और कस्टम के हिसाब से तय होगा।
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हाइलाइट्स:
वैवाहिक विवाद में पक्षकारों को बताना होगा अपनी संपत्ति और देनदारी का ब्यौरा
गुजारा भत्ता के लिए दाखिल आवेदन की तारीख से ही मिलेगा गुजारा भत्ता
सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता और एलिमनी के लिए तय किए देश भर के लिए समग्र गाइडलाइंस
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नईदिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के मामले में गुजारा भत्ता और निर्वाह भत्ता तय करने के लिए अहम फैसला दिया है और कहा है कि दोनों पार्टियों को कोर्ट में कार्यवाही के दौरान अपनी असेट और लाइब्लिटी ( संपत्ति और अपने खर्चे यानी देनदारियों) का खुलासा अनिवार्य तौर पर करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता के लिए अदालत में आवेदन दाखिल करने की तारीख तारीख से ही गुजारा भत्ता तय होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में देश भर की जिला अदालतों, फैमिली कोर्ट के लिए गाइडलाइंस जारी किए हैं कि किस तरह से गुजारा भत्ता के मामले में आवेदन होगा और कैसे मुआवजे की रकम का भुगतान होगा।
#1 सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आवेदन की तारीख से ही राशि का भुगतान करना होगा साथ ही पिछले किसी कार्यवाही में भुगतान किए गए राशि को अदालत एडजस्ट करेगी। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस की बेंच ने अनुच्छेद-142 के विशेषाधिकार के तहत उक्त निर्देश जारी किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले से पता चला कि सीआरपीसी की धारा-125 के तहत गुजारा भत्ता का मामला सात साल से पेंडिंग था। ये उचित होगा कि मेंटेनेंस को लेकर गाइडलाइंस जारी किया जाए।
#3 जिसके तहत गुजारा भत्ता कब से मिले, किस तरह मिले और क्या-क्या क्राइटेरिया हो ये तय होना जरूरी है। पिछले आदेश को देखकर गुजारा भत्ता एडजस्ट हो सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग कानूनी प्रावधान है जिसके तहत प्रावधान है पक्षकारों द्वारा गुजारा भत्ता का दावा किया जाता है।
इनमें सीआरपीसी की धारा-125, हिंदू मैरिज एक्ट, हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट व घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता का दावा किया जाता है। इन मामलों में पहले अलग-अलग फैसले हुए हैं। हाई कोर्ट ने कई बार फैसला दिया कि ये सब कार्यवाही अलग-अलग है ऐसे में मुआवजे की राशि दूसरे केस से एडजस्ट नहीं होगा।
#4 वहीं अन्य फैसले में कहा गया कि एडजस्ट होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के विरोधाभास को खत्म करने के लिए हम निर्देश जारी करते हैं कि जब भी मामले में गुजारा भत्ता के लिए अर्जी दाखिल किया जाए तो पहले की कार्यवाही के बारे में खुलासा किया जाए और तब कोर्ट पिछले गुजारा भत्ता या आदेश को देखकर अपने फैसले में विचार करेगी और एडजस्ट कर सकती है।
गुजारा भत्ता में अपनी संपत्ति और देनदारी का खुलासा अनिवार्य और निपटारा छह महीने में हिंदू मैरिज एक्ट या फिर सीआरपीसी के तहत महिला पति से अंतरिम गुजारा भत्ता की मांग करती है। हम देखते हैं कि कई मामले सालों कोर्ट में रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इन मामलों को स्ट्रीमलाइन किया जाए। कई बार महिला हाउस वाइफ होती है और कानूनी लड़ाई वह अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर लड़ती है।
#5 ऐसे में दोनों पार्टियों को अपनी संपत्ति और देनदारी का ब्यौरा कोर्ट में देना होगा। अदालत ने कहा कि फैमिली कोर्ट में आवेदन के साथ-साथ दोनों पार्टियों को अपनी संपत्ति और देनदारी का ब्यौरा देना अनिवार्य होगा। पत्नी की गुजारा भत्ता की अर्जी पर जब पति जवाब देगा तो वह
चार हफ्ते में जवाब देगा और हलफनामे में संपत्ति और देनदारी यानी खर्च का ब्यौरा देगा। कोर्ट उसे दो मौका देगी अगर इस दौरान पति जवाब नहीं देता तो उसका बचाव कोर्ट खत्म कर सकती है और आवेदक की अर्जी के मुताबिक फैसला देगी। सुनवाई के दौरान अगर वित्तीय स्थिति में पार्टियों के बदलाव हुए तो दोबारा हलफनामा देना होगा।
#6 कोर्ट में कोई भी गलत जानकारी देने पर गलत बयान के मामले में उक्त पार्टी पर मुकदमा चलेगा और साथ ही कंटेप्ट ऑफ कोर्ट का केस अलग से चलेगा। अंतरिम गुजारा भत्ता का आदेश हलफनामा दायर करने के चार से छह महीने के भीतर होगा।
#7
गुजारा भत्ता का आंकलन कैसे होगा...
इसके लिए कोई स्ट्रेटजैक फॉर्मूला नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके लिए कोई स्ट्रेटजैक फॉर्मूला नहीं है कि कैसे गुजारा भत्ता तय होगा। ये पार्टियों के स्टेटस पर निर्भर है साथ ही पत्नी की जरूरत, बच्चों की पढ़ाई, पत्नी प्रोफेशनल तरीके से पढ़ी है या नहीं, उसकी आमदनी क्या है, क्या उसकी आमदनी से जीवन निर्वाह हो सकता है, क्या शादी से पहले से नौकरी थी, क्या शादी के दौरान नौकरी में थी, क्या नॉन वर्किंग है इन तमाम बिंदुओं को देखना होगा।
#1 कई जजमेंट है जिसमें कहा गया है कि पति की हैसियत के हिसाब से गुजारा भत्ता तय होगा और उसके खुद के परिवार का उस पर कितनी जिम्मेदारी है ये भी देखना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केयरफुल बैलेंस की जरूरत है। पति की वित्तीय स्थिति, पत्नी का ससुराल में स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग क्या था इसे देखना होगा।
#8 बच्चों की पढ़ाई उसके खर्चे, दोनों पक्षकारों की नौकरी और उम्र को भी देखना होगा। कई फैसले में कहा गया हैकि पत्नी की नौकरी गुजारा भत्ते देने के मामले में बार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट उक्त तमाम तथ्यों और परिस्थितियों को देखकर आदेश पारित करेगा।आदेश का पालन नहीं करने पर होगा कंटेप्टऑफकोर्ट
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