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प्रॉपर्टी को लेकर किया जाने वाला काेई भी एग्रीमेंट परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से ही किया जा सकता है।सुप्रीम कोर्ट /

 प्रॉपर्टी को लेकर किया जाने वाला काेई भी एग्रीमेंट परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से ही किया जा सकता है।सुप्रीम कोर्ट /

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बेटों को मिली प्राॅपर्टी ज्वाइंट फैमिली प्रॉपर्टी, छोटे सदस्यों की सहमति के बिना एग्रीमेंट मान्य नहीं 

                        55 साल पुराना भूमि विवाद निपटाते हुए सुप्रीम काेर्ट ने एक अहम व्यवस्था दी है। काेर्ट ने कहा कि पिता से बेटों को मिली प्राॅपर्टी, उनकी निजी प्राॅपर्टी नहीं, बल्कि ज्वाइंट फैमिली प्रॉपर्टी होगी। घर के बड़े सदस्यों द्वारा अपनी संतान की सहमति के बिना इस प्राॅपर्टी काे लेकर किया गया एग्रीमेंट मान्य नहीं होगा। जस्टिस की बेंच ने डोडा मुनियप्पा बनाम मुनिस्वामी व अन्य केस में दायर याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।

  #2                      काेर्ट ने कहा कि ऐसी प्रॉपर्टी को लेकर किया जाने वाला काेई भी एग्रीमेंट परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से ही किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि बेंगलुरू के चिकन्ना नामक व्यक्ति की मौत के बाद उसकी प्राॅपर्टी तीन बेटों पिलप्पा, वेंकटरमनप्पा और मुनिप्पा को मिली। तीनों ने 1950 में इसे बेच दिया। साथ ही शर्त रखी कि खरीदार अगर भविष्य में यह प्राॅपर्टी बेचेगा ताे उन तीनों को ही बेचनी हाेगी।

                    खरीदार ने इस शर्त का उल्लंघन करते हुए 1962 में इसे डोडामुनियप्पा को बेच दिया। इसके खिलाफ चिकन्ना के पौत्र मुनिस्वामी व अन्य 5 पौत्र कोर्ट पहुंचे। निचली अदालत ने इसे ज्वाइंट फैमिली प्राॅपर्टी नहीं मानते हुए याचिका खारिज कर दी। हालांकि, हाईकोर्ट ने ज्वाइंट फैमिली प्रॉपर्टी मानते हुए मुनिस्वामी के पक्ष में फैसला दिया। विराेध में डोडामुनियप्पा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

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