Court Marriage (कोर्ट मैरिज) क्या है ?
Process क्या होता है ?
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इसके लिए Online Registration कैसे होगा और इसके (Rules) रूल्स क्या है ?
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विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act)के अंतर्गत ही सभी कोर्ट मैरिज की जाती हैं। कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म संप्रदाय अथवा जाति के बालिग युवक-युवती के बीच हो सकती है। किसी विदेशी व भारतीय की भी कोर्ट मैरिज हो सकती है।कोर्ट मैरिज करने के लिए मैरिज रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन करना होता है।
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कोर्ट मैरिज के लिए प्रक्रिया Court Marriage Process-
कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया पूरे भारत में समान ही है। इसे विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत शासित किया जाता है। इस अधिनियम के द्वारा विभिन्न धर्म के स्त्री पुरुष नागरिक समारोह में विवाह सम्पन्न कर सकते है।
कोर्ट मैरिज के अंतर्गत न केवल हिंदू का ही बल्कि मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के स्त्री पुरुष का भी विवाह शामिल होता हैं। कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म, संप्रदाय, या जाति के युवक -युवती के बीच हो सकती है। लेकिन इसके लिए प्रमुख शर्त यह है कि दोनों को बालिग होना चाहिए। किसी विदेशी और भारतीय की भी कोर्ट मैरिज हो सकती है।
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कोर्ट मैरिज के लिए शर्तें (Conditions for Court Marriage)
- पूर्व में कोई विवाह ना हुआ हो -यह नियम बताता है कि इस कानूनी प्रक्रिया के तहत पहले दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका कोई भी पूर्व विवाह तो नहीं हुआ है अगर हुआ है तो वह वैध ना हो। दूसरी बात दोनों पक्षों की पहली शादी से जुड़े पति या पत्नी जीवित ना हों।
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- लीगली रेडी(LegallyReady)- इसका अर्थ है कि आपसी रिश्तेदारी में शादी नहीं हो सकती है।</ span> यानि बुआ, बहन आदि। यह नियम केवल हिन्दुओं पर लागू है। मैरिज के समय दोनों ही पक्ष यानि वर व वधू अपनी वैध सहमति यानि ‘लीगली रेडी’ देने के लिए सक्षम होने चाहिए।
- # सक्षम का अर्थ है कि प्रक्रिया में स्वेच्छा से शामिल होना।
- # उम्र बहुत मायने रखती है, कोर्ट मैरिज के लिए पुरुष की आयु 21 वर्ष से ज्यादा तथा महिला की उम्र 18 वर्ष से ज्यादा होना बहुत अनिवार्य है साथ ही दोनों ही मानसिक रूप से स्टेबल यानि स्वस्थ होने चाहिए.
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- कोर्ट मैरिज प्रक्रिया के चरण-
- विवाह के लिए विवाह की सूचना का आवेदन – इसके लिए कोर्ट में सर्वप्रथम जिले के विवाह अधिकारी(District Marriage Officer) को सूचित करना होगा |
- # जिसकी सूचना विवाह में शामिल होने वाले पक्षों द्वारा लिखित रूप में दी जाएगी।
- # कोर्ट मैरिज की सूचना उस जिले के विवाह अधिकारी को दी जाएगी। सूचना के स्वरूप के तहत आयु और निवास स्थान यानि रेजिडेंस(Residence) के प्रमाण पात्र संलग्न करने होंगे।
- सूचना का प्रकाशित होना : जिले के विवाह अधिकारी (District Marriage Officer), जिनके सामने सूचना जारी की गई थी, वो सूचना को प्रकाशित करेंगे। सूचना की एक प्रति कार्यालय में एक विशिष्ट स्थान पर तथा एक प्रति उस जिला कार्यालय में जहां विवाह पक्ष स्थाई रूप से निवासी हैं, प्रकाशित की जाएगी।@7
- विवाह में आपत्ति का दर्ज होना : कोई भी व्यक्ति इसे दर्ज करा सकता है इसका अर्थ है कोई भी व्यक्ति विवाह में आपत्ति दर्ज करा सकता है, जिसका लड़का या लड़की से दूर या पास का रिश्ता हो। यदि दी गई आपत्तियों का कोई आधार होगा तो ही उन पर जांच कराई जाएगी। ये आपत्ति (Objection) संबंधित जिले के विवाह अधिकारी(District Marriage Officer) के सामने दर्ज होती है ।
- आपत्ति(Objection) होने पर : आपत्ति किए जाने के 30 दिन के भीतर विवाह अधिकारी को जांच-पड़ताल करना होता है। यदि की गई आपत्तियों को सही पाया जाता है, तो विवाह संपन्न नहीं हो होगा।
- आपत्तियों पर कोई भी पक्ष अपील दर्ज कर सकता है। अपील आपके स्थानीय जिला न्यायालय (Local District Court) में विवाह अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में दर्ज की जा सकती है। और यह आपत्ति के स्वीकार होने के 30 दिन के भीतर ही दर्ज की जा सकती है।
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- इसके बाद विवाह अधिकारी की उपस्थिति में दोनों पक्ष और तीन गवाह, घोषणा पर हस्ताक्षर करते हैं। विवाह अधिकारी के हस्ताक्षर भी होते हैं। इस घोषणा का लेख और प्रारूप अधिनियम की अनुसूची 111 के अनुसार होगा ।
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- विवाह का प्रमाण पत्र – अब अंत में विवाह अधिकारी विवाह होने के उपरांत मैरिज सर्टिफिकेट पत्र पुस्तिका में एक प्रमाण पत्र दर्ज करेगा । दोनों पक्षों और तीन गवाहों द्वारा हस्ताक्षर करने पर एक सर्टिफिकेट कोर्ट मैरिज का निर्णायक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है |
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- कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज
- ## आवेदनपत्र और अनिवार्य शुल्क |
- ## दूल्हा-दुल्हन के पासपोर्ट साइज के 4 फोटोग्राफ |
- ## पहचान प्रमाण पत्र (आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी) |
- ## कोर्ट मैरिज के लिए हर राज्य की फीस अलग होती है, लेकिन इसका शुरुआत शुल्क 500 से 1000 रुपये होता है |
- ## 10TH /12TH की मार्कशीट या जन्म प्रमाण पत्र |
- ## शपथ पत्र जिससे ये साबित हो कि दूल्हा-दुल्हन में कोई भी किसी अवैध रिश्ते में नहीं है।
- ## गवाहों की फोटो व पैन कार्ड (PAN CARD) |
## अगर तलाक़शुदा है तो तलाक के पेपर, या फिर पूर्व पति-पत्नी मृत हैं तो उनका डेथ सर्टिफिकेट |
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कोर्ट मैरिज के बाद तलाक की प्रक्रिया
यहाँ आपको ध्यान देना होगा कि कोर्ट मैरिज करने के बाद आप एक साल तक तलाक नहीं ले सकते। इसका अर्थ है विवाह का कोई भी पक्ष 1 वर्ष की समय सीमा समाप्त होने से पहले तलाक हेतु न्यायालय में याचिका दायर नहीं कर सकता।
लेकिन, कुछ विशेष परिस्थितियों में जहां माननीय न्यायालय को ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता द्वारा असाधारण कठिनाइयों का सामना किया जा रहा है, ऐसे मामलों में तलाक की याचिका दी जा सकती है।
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मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता कहाँ होती है -
मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता लगभग हर जगह होती है जैसे पासपोर्ट अप्लाई करने के लिए, नया बैंक अकाउंट खोलने के लिए, वीजा अप्लाई करने के लिए।
शादी के बाद विदेश में सेटल होने के लिए भी शादी का रजिस्ट्रेशन और उसका सर्टिफिकेट जरूरी होता है।
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