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जानिए अपने अधिकार : पुलिस अगर आपकी रिपोर्ट न लिखे तो आपके पास हैं ये कानूनी अधिकार,

 

जानिए अपने अधिकार

 पुलिस अगर आपकी रिपोर्ट लिखे तो आपके पास हैं  

ये कानूनी अधिकार,
 

@1            हम आपको अपने उन अधिकारों के बारे में बता रहे हैं जो कानून ने आपको दिए  

हैं। अगर पुलिस किसी अपराध की रिपोर्ट लिखने से मना करे तो आपके पास  

इसका भी कानूनी अधिकार है।

पुलिस को किसी संज्ञेय अपराध की शिकायत लिखित और मौखिक दोनों तरीके  

से की जा सकती है। पुलिस किसी शिकायत करने वाले व्यक्ति पर यह दबाव नहीं  

बना सकती कि शिकायत या रिपोर्ट लिखकर लाई जाए। आम आदमी पुलिस  

थाने जाने में संकोच करता है।

@2

          बात अगर किसी अपराध की रिपोर्ट लिखाने की हो तो आम आदमी के ज़हन में  

कई सवाल आते हैं और वह सोचता है कि अगर पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी  

तो?जब भी कोई संज्ञेय अपराध होता है याने गंभीर प्रवृत्ति का अपराध हो तो  

इसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस को तुरंत दी जानी चाहिए और पुलिस का  

काम है कि वह इस तरह के अपराध की रिपोर्ट अपने प्रथम सूचना रिपोर्ट  

(FIR) रजिस्टर में दर्ज करे। इसका प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता 1973 

(Criminal Procedure Code 1973) (CrPC) की धारा  

154 में दिया गया है।

@3

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@4

रिपोर्ट कौन से थाने में की जाए : सामान्यत: समझा जाता है कि किसी मामले  

की रिपोर्ट उस थाने में की जाए जिस थानाक्षेत्र में अपराध या घटना घटित हुई  

है, लेकिन आप अपने नज़दीकी थाने में भी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं, जिसे  

बाद में संबंधित थाने में भिजवा दिया जाएगा। पीड़ित पक्ष या ऐसा पक्ष जिसे  

घटना या अपराध के बारे में जानकारी है उसे वह किसी नज़दीकी थाने में जाकर  

पूरी जानकारी के साथ पुलिस को बता सकता है। पुलिस का काम है कि संज्ञेय  

अपराध की एफआईआर लिखे। अगर अपराध उस थानाक्षेत्र में नहीं घटित हुआ  

है तो भी पुलिस उसकी रिपोर्ट अपने एफआईआर रजिस्टर में नोट करेगी। ऐसी  

एफआईआर को ज़ीरो एफआईआर कहा जाता है।

इस रिपोर्ट को दर्ज करने के बाद पुलिस उसे आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित  

थाने में भेज देगी। अगर अपराध असंज्ञेय है तो पुलिस उसे अपने FIR रजिस्टर  

के बजाए अपने एनसीआर याने Non Cognizable Offence 

(NCR) रजिस्टर में दर्ज करेगी। इस एनसीआर रजिस्टर में असंज्ञेय अपराधों  

को नोट किया जाता है।

@5

     रिपोर्ट कैसे करें : पुलिस को किसी संज्ञेय अपराध की शिकायत लिखित और  

मौखिक दोनों तरीके से की जा सकती है। पुलिस किसी शिकायत करने वाले  

व्यक्ति पर यह दबाव नहीं बना सकती कि शिकायत या रिपोर्ट लिखकर लाई  

जाए। शिकायत मौखिक रूप से भी की जा सकती है। पुलिस के भारसाधक  

अधिकारी की यह ज़िम्मेदारी है कि वह रिपोर्ट दर्ज करेगा या करवाएगा और  

शिकायत लिखने के बाद शिकायत करने वाले व्यक्ति को पढ़कर सुनाएगा जो  

उससे लिखवाया है। इस पर शिकायत करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर होंगे और  

इस शिकायत की एक कॉपी उसे निशुल्क दी जाएगी। यह प्रावधान दंड प्रक्रिया  

संहिता 1973 (Criminal Procedure Code) 1973 

(CrPC) की धारा 154 में दिया गया है। अगर आपको कॉपी नहीं मिली है  

और उस पर अपराध का विवरण संबंधित धाराओं के साथ नहीं लिखा है तो  

समझिए कि आपकी रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई।

@6

रिपोर्ट दर्ज हो तो क्या करें : विधि की यह विशेषता है कि यदि किसी एक  

कानून से पीड़ित को राहत मिले तो उसका भी उपचार दिया गया है। अगर  

पुलिस कोई रिपोर्ट लिखने से मना करे तो उसका उपचार भी है। अगर किसी  

पुलिस थाने में आपकी शिकायत नहीं सुनी गई है तो आप लिखित में इसकी  

शिकायत संबंधित ज़िले के एसपी (Superintendent of police)  

याने ज़िला पुलिस अधीक्षक से कर सकते हैं। आपको लिखित में इस बात का  

पूरा विवरण देना होगा कि आप किस समय थाने में अपनी रिपोर्ट लिखवाने गए  

और वहां आपको कौन व्यक्ति मिला और उसने क्या कहा। इसके बाद यह एसपी  

की ज़िम्मेदारी है कि वह संबंधित थाने से मामले की जांच करवाएं और आपकी  

शिकायत दर्ज करवाएं। वैसे तो यहां तक आते आते आपकी शिकायत दर्ज कर  

ली जाएगी, लेकिन अगर फिर भी किसी कारण आपकी शिकायत दर्ज ना हो तो  

आप सारे आवेदन की प्रति जो आपने थाने या एसपी ऑफिस में दिए हैं, उन्हें  

लेकर किसी वकील के माध्यम से न्यायालय की शरण में जाएं और वहां पूरे  

विवरण के साथ अपनी शिकायत दर्ज करवाने के लिए आवेदन करें।



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