सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

धारा 323 आईपीसी/धारा 326 आईपीसी (IPC Section 326 in Hindi)

 धारा 323 आईपीसी (IPC Section 323 in Hindi) -
         
   जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाने के लिए दण्ड

@1
विवरण
जो भी व्यक्ति (धारा 334 में दिए गए मामलों के सिवाजानबूझ कर किसी 
 को स्वेच्छा से चोट पहुँचाता हैउसे किसी एक अवधि के लिए कारावास 
 जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता हैया एक हजार रुपए तक का  
जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।
लागू अपराध
जानबूझ कर  स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाना
सजा - 1 वर्ष कारावास या एक हजार रुपए जुर्माना या दोनों

यह एक जमानती
 गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध पीड़ित चोटिल व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है।
                    thank you
@2
 
धारा 326 आईपीसी (IPC Section 326 in Hindi) 
 
खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति कारित करना

विवरण
धारा 335 द्वारा प्रदान किए गए मामले को छोड़कर जो कोई भीघोपने
 गोली चलाने या काटने के किसी भी साधन के माध्यम से या किसी अपराध 
 के हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण से स्वेच्छापूर्वक  
ऐसी गंभीर चोट पहुंचाएजिससे मॄत्यु कारित होना सम्भाव्य हैया फिर 
 आग के माध्यम से  या किसी भी गरम पदार्थ या विष या संक्षारक पदार्थ  
या विस्फोटक पदार्थ या किसी भी पदार्थ के माध्यम से जिसका श्वास में जाना 
या निगलनाया रक्त में पहुंचना मानव शरीर के लिए घातक है या किसी  
जानवर के माध्यम से चोट पहुंचाता हैतो उसे आजीवन कारावास या  
किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है 
और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा।

लागू अपराध
खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छा से गंभीर आघात पहुंचाना
सजा आजीवन कारावास या दस वर्ष कारावास और आर्थिक दंड

यह एक गैरजमानतीसंज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट  
द्वारा विचारणीय है। 
 मध् प्रदेश में सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
                       thank you

@3

MORE----

READ1}गिफ्ट(Gift) की गई संपत्ति के स्वामित्व के लिए स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान का महत्व?

2}Stay Order का क्या मतलब होता है? प्रॉपर्टी पर स्थगन आदेश क्या होता हैं? प्रॉपर्टी के निर्माण पर स्थगन आदेश कैसे होता है?

3}क्यों जरूरी है नॉमिनी? जानें इसे बनाने के नियम और अधिकार

4}Deaf and Dumb पीड़िता के बयान कैसे दर्ज होना चाहिए। Bombay High Court

@4

5}क्या दूसरी पत्नी को पति की संपत्ति में अधिकार है?

6}हिंदू उत्तराध‌िकार अध‌िनियम से पहले और बाद में हिंदू का वसीयत करने का अध‌िकार

7}निःशुल्क कानूनी सहायता-

8}संपत्ति का Gift "उपहार" क्या होता है? एक वैध Gift Deed के लिए क्या आवश्यक होता है?




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और 12 के तहत हिंदू पुरुष की मृत्यु के बाद संपत्ति विभाजित की जाएगी

 हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और 12 के तहत हिंदू   पुरुष की मृत्यु के बाद संपत्ति       विभाजित  की जाएगी   हिंदू कानून के तहत                   हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और 9 हिंदू  पुरुष  की मृत्यु के बाद संपत्ति के वितरण को नियंत्रित करती है। एक हिंदू पुरुष बिना वसीयत मरने पर संपत्ति कक्षा 1 के उत्तराधिकारी को जाती है जो अन्य सभी उत्तराधिकारियों के अपवाद के बाद संपत्ति ले लेता है। और यदि कक्षा 1 नहीं तो कक्षा 2 वारिस को जाती है। उदाहरण के लिए, यदि पिता अपनी पत्नी और चार बेटों के पीछे छोड़कर मर जाता है, तो प्रत्येक व्यक्ति अपनी संपत्ति के बराबर हिस्से का वारिस होगा, यानी प्रत्येक को पिता की संपत्ति का पाँचवां हिस्सा मिलेगा। @1 धारा-8. पुरुष की दशा में उत्तराधिकार के साधारण नियम -  निर्वसीयत मरने वाले हिन्दू पुरुष की सम्पत्ति इस अध्याय के उपबन्धों के अनुसार निम्नलिखित को न्यागत होगी :- (क) प्रथमतः उन ...

भारत में तलाक की डिक्री कब और कैसे मिलती है

 How to Get Decree of Divorce              in India  भारत में तलाक की डिक्री कब और कैसे मिलती है #1                 विवाह विच्छेद के लिए तलाक की डिक्री (Decree of Divorce) प्राप्त करने के लिए विवाह के पश्चात न्यायालय में कब याचिका पेश की जाती है? क्या निर्धारित समय के पहले भी ऐसी याचिका पेश की जा सकती है ? इन्ही सब सवालो के जवाब मिलेंगे।                 हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 14 (Hindu Marriage Act 1976) के अनुसार विवाह की तिथि से 1 वर्ष के भीतर विवाह विच्छेद यानि की तलाक ये डाइवोर्स के लिए कोई याचिका प्रस्तुत नहीं की जा सकती है। पहले में यह अवधि 3 वर्ष की थी। परंतु 1976 में लाए गए संशोधन के अनुसार इस अवधि को 1 वर्ष कर दिया गया है।     #2      क्या निर्धारित समय के पहले भी ऐसी याचिका तलाक (Decree of Divorce) के लिए पेश की जा सकती हैं ?  ...

कानूनी धारा लिस्ट इन हिंदी 2021 – IPC Dhara in Hindi, IPC in Hindi

#2  IPC  धारा लिस्ट इन हिंदी IPC SECTIONS LIST in Hindi,  IPC in Hindi अध्याय 1 भारतीय दण्ड संहिता  INDIAN PENAL CODE 1860 👉 आईपीसी, 1860 (भारतीय दंड संहिता)  List Of Sections 👉अध्याय 1 धारा 1 - संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार धारा 2 - भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड।   धारा 3 - भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड। धारा 4 - राज्यक्षेत्रातीत / अपर देशीय अपराधों पर संहिता का विस्तार। धारा 5 - कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना। 👉अध्याय  2 धारा 6 - संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना। धारा 7 - एक बार स्पष्टीकॄत वाक्यांश का अभिप्राय। धारा 8 - लिंग धारा 9 - वचन धारा 10 - पुरुष। स्त्री। धारा 11 - व्यक्ति धारा 12 - जनता / जन सामान्य धारा 13 - क्वीन की परिभाषा धारा 14 - सरकार का सेवक। धारा 15 - ब्रिटिश इण्डिया की परिभाषा धारा 16 - गवर्नमेंट आफ इण्डिया की परिभाषा धारा 17 - सरकार। धारा 18 - भारत धारा 19 - न्यायाधीश। धारा 20 - न्यायालय धारा 21 - ल...